अमरचंद बांठिया

अमरचंद भाटिया का जन्म एक बीकानेर राजस्थान के व्यापारिक परिवार में हुआ था किंतु आर्थिक कारण से वह ग्वालियर आ गये ।

उनकी व्यापारिक समझ और आर्थिक प्रबंधन से प्रभावित होकर सिंधिया राजघराने ने   उनको अपने गंगाजली खजाने का खजांची बना दिया  जिसे उन्होंने बड़ी लगन और सूझ‌बूझ‌ के साथ संचालन किया।

1857 की क्रांति में महारानी लक्ष्मीबाई को आर्थिक संकट की घड़ी में उन्होंने ग्वालियर रियासत का खजाना खोल दिया और सैनिकों के लिए भामाशाह  बनकर  8 June 1858  भरपूर आर्थिक सहायता प्रदान की।

अमरचंद भाटिया द्वारा रानी लक्ष्मीबाई को दिए गए आर्थिक सहयोग को अंग्रेज सरकार ने  राजद्रोह माना और 22 जून 1858 उन्हें ग्वालियर की सराफा बाजार ग्वालियर  में एक नीम के पेड़ के नीचे सरेआम फांसी पर लटका दिया गया और तीन दिन तक उनके शरीर को उनके परिवार को नहीं सोपा ।

इस युद्ध में अमरचंद भाटिया ने कोई शस्त्र नहीं उठाया है लेकिन उनका यह बलिदान सदैव याद किया जाएगा।

स्वतंत्रता सेनानी अमरचंद भाटिया को इतिहासकारों ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में राजस्थान का प्रथम शाहिद माना है